लहरों से आगे
आसमानो के नीचे
दूर उस ज़मीन पर
जो अकेला बन्दा खड़ा है
वोह मैं हू
हर पल जो किसी को ढूंढती रहती है
वोह मेरी नज़रें है
और जो तुम्हारे सीने में धड़कता है
वोह ही मेरा दिल है
पर मैं हू कौन?
मैं लाभ हू
मैं हानि हू
मैं आग हू
मैं पानी हु
मैं ही राजा
मैं ही रानी हू
मैं किसी शिरी का फरहाद हू
मैं किसी के दिल की फरियाद हू
किसी का सपना हू
किसी का अपना हू
और जिसका पराया हू
उसका भी मैं अपना हू
जब तुम्हे भूक लगती है
तो मैं खाना हू
जब ठंड
तो मैं धूप बन जाता हू
और गर्मी में साया भी मैं ही हू
हर दिल का मुझसे नाता है
और हर दिमाग का मुझसे रिश्ता
कोई मुझे भगवान् कहता है
कोई फ़रिश्ता
पर हु तो मैं तुम्हारा ही हिस्सा
बस देखो तो सही
खुद ढूंढते हो तुम
अपने लिए धुप, साया और खाना
प्यार के लिए भी
तुम्हे कही और नही जाना
सब तुम में ही है
तुम ही एक दुनिया हो
तुम ही हो एक संसार
तुम्हे ही मिलती है हर जीत
तुम्हारी ही है हर हार
मैं हू कही
पर भूल के मुझे
करो अपना काम
और हर गलती का
मुझपे न लगाओ इलज़ाम
क्युंकी मैं लहरों से आगे
आसमानो के नीचे
दूर उस ज़मीन पर
अकेला खड़ा हू
नज़रें चाहे सब पे हो
पर हाथ सबसे दूर
हाथो का है तुमसे ही रिश्ता
क्युकी चाहे भगवान् मैं हू
तुम ही हो अपना फ़रिश्ता
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