ना देश अपना ना लोग पराये
अब किस चोर को कोतवाल बनाए
अब जैल भी लगती है नेताओ को सुहानी
और जान प्रतिनिधि को पोलीस पकड़ ले जाए
गाँधी का यह देश है मेरा और अहिंसा मेरा धरम
रोक दिया जाता हर कोई जो करता अपना करम
यहा कसाब को जमाई बनाए और अन्ना को मुजरिम
बोल उठेगा देश सारा उबलेगा हर खून गरम
पैदा हुआ भगत जो जल्लियाँवाला मे खेली होली
अब डाइयर भी बोले हिन्दी तो हुकूमत भी यही बोली
उठे हत्यार देश के खुद पे ऐसा कल ना आएगा
पर एक दिन ऐसा आएगा जब भगत खड़ा हो जाएगा
आज़ादी पे बंद गयी पट्टी देश हुआ अनदेखा
लोकतंत्र मे लोकपाल ही लगाएगा सब पे रेखा
फिर से आए नेहरू गाँधी फिर से चलेंगे दांडी
आज़ादी ना देखी तो क्या संग्राम तो मैने देखा
आज़ादी ना देखी तो क्या संग्राम तो मैने देखा
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